Search

Wikipedia

Search results

विटामिन डी से दूर हो सकती है साँस की बीमारी | Vitamin D can overcome respiratory disease

विटामिन डी से दूर हो सकती है साँस की बीमारी 

 
शारीरिक विकास में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा आदि प्रमुख तत्त्वों के समान विटामिन्स की भी आवश्यकता होती है। प्रजीवक को अंग्रेजी में ‘विटामिन’ कहा जाता है; जो ग्रीक शब्द ‘विटा’ से बना है, जिसका अर्थ जीवन होता है। सन् 1920 ई0 में इस सूक्ष्म तत्त्व की खोज वैज्ञानिकों ने की थी। लेकिन इसका विस्तार लगभग 1930 ई0 में हुआ। इसके अनेक प्रकार हैं जिसमें विटामिन ‘डी’ उनमें से एक है, जो सूर्य की किरणों से प्राप्त किया जाता है, तथा अन्य रूप में तैल, दूध, घी, मक्खन, नींबू, टमाटर, मेथी, केला, गाजर, सोयाबीन, पपीता, आम, संतरा, पका कटहल, गोभी, प्याज, पुदीना आदि में पाया जाता है। यह जीवन के लिए आवश्यक तत्त्व है। विटामिन ‘डी’ यदि शरीर में कम हो जाता है तो अनेक शारीरिक समस्याएँ प्रकट होने लगती हैं। जैसे- इसकी कमी से वयस्कों में आस्टियोमलेशिया तथा बच्चों में रिकेट्स रोग होने की सम्भावना हो जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार इसकी कमी नहीं होनी चाहिए, नहीं तो अस्थियाँ भी कमजोर हो जाती हैं, मांसपेशियों में ऐंठन होने लगता है। स्त्रियों में श्वेतप्रदर की बीमारी घेरने लगती है। स्त्री-पुरुषों में संधिवात की समस्या दिखने लगती है। हिस्टीरिया की समस्या भी इसकी कमी के कारण हो सकती है। दाँतों के रोग होने की आशंका इस विटामिन ‘डी’ की कमी होने से बन जाती है। इसलिए विटामिन ‘डी’ जिन तत्त्वों से प्राप्त होता है उचित मात्रा में उसको ग्रहण करना चाहिए।
 
वर्तमान में वैज्ञानिकों ने विटामिन ‘डी’ तत्त्व के प्रभाव को और अधिक उजागर किया है। वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया कि यदि बच्चों को नियमित रूप से विटामिन ‘डी’ की खुराक दी जाय तो उनमें सर्दी या फ्लू जैसे साँस-संबंधी संक्रमणों का खतरा कम हो जाता है। हार्वर्ड शोधकर्ताओं के नेतृत्त्व में मंगोलिया के स्कूली बच्चों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि जिन बच्चों के खून में विटामिन ‘डी’ की मात्रा कम थी, उन्हें रोजाना इस विटामिन की खुराक देने पर साँस से जुड़े संक्रमणों में कमी आ गई। इस अध्ययन में लेखिका कार्लोस ने भी बताया कि संक्रमण के खतरों को कम करने में विटामिन ‘डी’ अहम निभाती है। शोध के अन्दर सर्दियों के समय खून में विटामिन ‘डी’ की कमी वाले छात्रों को इसकी खुराक देने पर संक्रमणों का खतरा आधा हो गया। इसलिए विटामिन ‘डी’ का सेवन अवश्य करें। प्राकृतिक रूप से हमारा शरीर सूर्य की किरणों द्वारा स्वयं विटामिन ‘डी’ तत्त्व को ग्रहण करता है। अतः उचित मात्रा में धूप लेनी चाहिए जिससे आवश्यक विटामिन ‘डी’ हमें प्राप्त हो सके।
 
विटामिन डी की मात्रा खून में कम हो जाने पर धूप अवश्य लिया जा सकता है तथा पोषक-तत्त्वों में जो उपर्युक्त वर्णित है उन फल-सब्जियों का भी सेवन किया जा सकता है। साथ ही विटामिन ‘डी’ संबंधी मेडिसिन किसी चिकित्सक की सलाह से लिया जा सकता है।
 
Ref. Article source from Sadafal Arogya Vigyan,quarterly magazine, Author-Smt.Savita Prasad,NDDY.Picture source from pixabay.